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वन मंत्री की उपस्थिति में 2250 घरेलू बायो गैस संयंत्रों की स्थापना हेतुसिस्टेमा बायो संस्था को मिली स्वीकृति

  • Writer: Bharat Heartline News
    Bharat Heartline News
  • Oct 19, 2024
  • 2 min read

अयोध्या, गोंडा, गोरखपुर, और वाराणसी जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में

संयंत्रों की होगी स्थापना


उत्तर प्रदेश के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अरुण कुमार सक्सेना की उपस्थिति में पर्यावरण निदेशालय में 2250 घरेलू बायो गैस संयंत्रों की स्थापना हेतु सिस्टेमा बायो संस्था को स्वीकृति पत्र प्रदान किया गया। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन श्री मनोज सिंह और निदेशक पर्यावरण, श्री आशीष तिवारी भी उपस्थित थे।

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए पर्यावरण निदेशालय को 2250 घरेलू बायो गैस संयंत्र स्थापित करने का लक्ष्य सौंपा गया है। सिस्टेमा बायोसंस्था इस कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जिसमें अयोध्या, गोंडा, गोरखपुर, और वाराणसी जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में संयंत्रों की स्थापना की जाएगी। उक्त संयंत्रों के इस्तेमाल से खाना पकाने के लिए बायो गैस के साथ-साथ कृषि के लिए उपयोगी जैविक खाद भी मिल सकेगी।

इस योजना के तहत प्रत्येक बायो गैस संयंत्र की कुल लागत रू0 39300 है, जिसमें से लाभार्थी किसान को केवल रू0 3990 का मामूली अंशदान करना होगा। बाकी लागत का प्रबंध केंद्र सरकार की केंद्रीय वित्तीय सहायता और कार्बन क्रेडिट से किया जाएगा। इस योजना का एक अनूठा पहलू यह है किसिस्टेमा बायो संस्था द्वारा संयंत्र से उत्पन्न कार्बन क्रेडिट का विक्रय कर रू0 20960 की धनराशि की व्यवस्था की जाएगी, जिससे किसान पर आर्थिक भार कम रहेगा। यह कार्बन फाइनेंसिंग मॉडल इस परियोजना को न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी बनाता है, बल्कि किसानों के लिए सस्ती और टिकाऊ भी।

इसके अलावा, सिस्टेमा बायोसंस्था संयंत्र की स्थापना के साथ अगले 10 वर्षों तक किसानों को सेवा सहायता प्रदान करेगी, ताकि संयंत्रों का सुचारू संचालन और रखरखाव सुनिश्चित किया जा सके। इस परियोजना के तहत महिलाओं और लघु एवं छोटे किसानों को प्राथमिकता दी जाए



गी, जिससे उन्हें स्वच्छ और किफायती ईंधन उपलब्ध होगा। इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में कार्बन उत्सर्जन को कम करना, कृषि में जैविक उर्वरकों का उपयोग बढ़ाना, और परिवारों को स्वच्छ ईंधन के साथ-साथ अतिरिक्त आय के अवसर प्रदान करना है। इस कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन से न केवल पर्यावरणीय सुधार होंगे, बल्कि किसानों की जीवनशैली में भी सकारात्मक बदलाव आएगा।

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